तुफ़ान
जंगलो मैं है घर तेरा, फिर अंधेरे से क्यों डर गया .
उठ हनुमान पहचान खुद को, यह जामवंत तुझे कह रहा..
घनघोर घटाएं छाई है,
बिजली आकाश में चमक रही..
पहाड़ भी टूट रहे जंगल के,
नदियां भी रास्ते बदल रही..
पेड़ भी बहक गए तूफान से,अब तेरे वह खिलाफ हुए..
है खुदा भी तेरा मौन अब, तो कैसे तुझे इंसाफ मिले..
उबाल आया है रक्त में तेरे, जो बनकर आंसू टपक रहे..
भभक रही तेरे अंदर की ज्वाला, जैसे भट्टी में आग जले..
ए राही तू बाज बन,
बादलों के पार चल..
आसमान है घर तेरा,
तू क्यूँ चारदीवारी में कैद हुआ..
~राही (Sandeep JR Bhati)
उठ हनुमान पहचान खुद को, यह जामवंत तुझे कह रहा..
घनघोर घटाएं छाई है,
बिजली आकाश में चमक रही..
पहाड़ भी टूट रहे जंगल के,
नदियां भी रास्ते बदल रही..
पेड़ भी बहक गए तूफान से,अब तेरे वह खिलाफ हुए..
है खुदा भी तेरा मौन अब, तो कैसे तुझे इंसाफ मिले..
उबाल आया है रक्त में तेरे, जो बनकर आंसू टपक रहे..
भभक रही तेरे अंदर की ज्वाला, जैसे भट्टी में आग जले..
ए राही तू बाज बन,
बादलों के पार चल..
आसमान है घर तेरा,
तू क्यूँ चारदीवारी में कैद हुआ..
~राही (Sandeep JR Bhati)