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तुफ़ान

जंगलो मैं है घर तेरा, फिर अंधेरे से क्यों डर गया . उठ हनुमान पहचान खुद को, यह जामवंत तुझे कह रहा..

तालाब का दुख

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पुराना तालाब आज रो रहा था l इतने दिनों से शांत था, फिर अब क्यों बोल रहा था ll जाने उसको थी क्या पड़ी, जो घाव दिल के खोल रहा था l बोला,"क्यों आए हो, परवाह तो तुमको है नहीं l किस किस्म के लोग हो तुम? क्यूँ कोई तुम्हें समझाता नहीं ll" मैं बोला, "बात क्या है, बता तो दो l किस चीज से हो खफा, जता तो दो ll बोला,"गांव में अकाल पड़ा था भारी l पानी की हुई थी लाचारी ll लोगों ने की पलायन की तैयारी,तो ठाकुर ने फिर यह बात विचारी l एक तालाब बनाने की दी जिम्मेदारी l और काम पर लग गए थे सब नर-नारी ll कुँई तालाब में तीन बनाई l पानी फिर भी नहीं दिया दिखाई ll निराश लोग अब होने लगे थे l धीरज अपना खोने लगे थे ll सब्र मेरा फिर टूट गया l दिल का दरिया फूट गया ll गांव में खुशी की लहर दौड़ आई l सबने उस दिन दिवाली मनाई ll और एक संदेश दिया मेरे भाई l पानी के लिए ना कोई करे लड़ाई ll क्या तुम्हें बताऊं मैं बच्चे व्यथा मेरी पुरानी है ll हो गया हूं अब मैं बूढ़ा अनसुनी मेरी कहानी है l हूँ मैं मेला सा सरोवर गंदा मेरा पानी है ll" मेरी है बस यही खता l किस बात की मिल रही है मुझे सजा? तो मैंने ऐस

हां मुझे एक रास्ता मिला है

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दूर तलक अंधियारे को चीरता हुआ, क्षितिज से सूरज निकला है l हां मुझे एक रास्ता मिला है l हां मुझे एक रास्ता मिला है ll भीड़-भाड़ भरी इस दुनिया में, मैं अक्सर भटक जाता हूं l भूल जाता हूं मंजिल इन तंग होती गलियों चौबारो में l डर जाता हूँ पल-पल स्वरूप बदलते इन मील के पत्थरों से l किसी अनजान मोड़ पर रोशनी को नुमायाँ करता एक दीया जला हैl हां, मुझे एक रास्ता मिला है ll कभी आ जाता है अकाल, गला सूखने लगता है l जमीन बंजर सी हो जाती है l पेड़ सूख जाते हैं और मौसम पतझड़ सा हो जाता है l उन्हीं पत्तों की ढेरी में, एक फूल खिला है l हां मुझे एक रास्ता मिला है l हां, मुझे एक रास्ता मिला है ll               ~राही ( Sandeep JR Bhati ) Image Source- Sandeep

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