तेरी याद
वो राहे जो शहर से दूर उस सुनसान सड़क पर जाती है...
आज भी इन सड़को की खामोशी तेरी याद दिलाती है...
वही सड़क पर पेड़ के नीचे तेरा झुमका क्या पुराना मिल गया...
आज अरसो बाद मेरे कलम को फिर से लिखने का बहाना मिल गया...
वो काली सड़को पे हमारी मुलाकातों के सफ़ेद निशान
आज भी है...
भले ही तोड़ा हो दिल तुमने पर इस टूटे दिल में तेरी चाहत
आज भी है...
इस तरह समाये हो मुझमें की मेरी कलम की स्याही की आखिरी बूंद के
जिक्र में तुम हो...
ओस की बूंदो में डूबी काफ़ी लम्बी है यह रात पर,
इस रात की सुबह तुम हो...
~ Rajat Rajpurohit
आज भी इन सड़को की खामोशी तेरी याद दिलाती है...
वही सड़क पर पेड़ के नीचे तेरा झुमका क्या पुराना मिल गया...
आज अरसो बाद मेरे कलम को फिर से लिखने का बहाना मिल गया...
वो काली सड़को पे हमारी मुलाकातों के सफ़ेद निशान
आज भी है...
भले ही तोड़ा हो दिल तुमने पर इस टूटे दिल में तेरी चाहत
आज भी है...
इस तरह समाये हो मुझमें की मेरी कलम की स्याही की आखिरी बूंद के
जिक्र में तुम हो...
ओस की बूंदो में डूबी काफ़ी लम्बी है यह रात पर,
इस रात की सुबह तुम हो...
~ Rajat Rajpurohit