मैं नारी हूं / JP Tanwar

मैं नारी हूं, नित्य सी, स्वाभाविक सी, परछाई सी।
   मैं हूं, तुम्हारे होने की सच्चाई सी ।।

   मैं ज्ञात हूं, दिन रात के भेद सी।
   मैं अज्ञात हूं, अनपढ़े संदेश सी।।

   मैं सहज हूं, सावन की बरसात सी।
   मैं दुर्लभ हूं, कोहिनूर जड़ित सौगात सी।।

   मैं शांत हूं, सन्यासी के मन सी।
   मैं व्याकुल हूं, तृष्णाओं से भरे तन सी।।

   मैं मैली हूं, मोक्षदायिनी गंगा सी।
   मैं पवित्र हूं, जगत जननी सीता सी।।

   मैं तेज हूं, बाई लक्ष्मी की तलवार सी।
   मैं मंद हूं, नौसिखिए की पतवार सी।।

   मैं मीठी हूं, शादी की शहनाई सी।
   मैं कड़वी हूं, बहना की विदाई सी।।

   मैं सतही हूं, लड़खड़ाती रूबाई सी।
   मैं गहरी हूं, मीरा की चौपाई सी।।

   मैं सुलझी हूं, ममता मूर्त आई सी।
   मैं उलझी हूं, नीड़ में तिनके की बुनाई सी।

   मैं नारी हूं, नित्य सी, स्वाभाविक सी, परछाई सी।
   मैं हूं, तुम्हारे होने की सच्चाई सी।।

                            ~ J P Tanwar

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