तुम अगर नहीं आयीं / कुमार विश्वास

                                                   तुम अगर नहीं आयीं, गीत गा ना पाऊँगा|

साँस साथ छोडेगी, सुर सजा ना पाऊँगा|

तान भावना की है, शब्द-शब्द दर्पण है,

बाँसुरी चली आओ, होट का निमन्त्रण है|

तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है,

तीर पार कान्हा से दूर राधिका सी है|

दूरियाँ समझती हैं दर्द कैसे सहना है?

आँख लाख चाहे पर होठ को ना कहना है|

औषधी चली आओ, चोट का निमन्त्रण है,

बाँसुरी चली आओ होठ का निमन्त्रण है|

तुम अलग हुयीं मुझसे साँस की खताओं से,

भूख की दलीलों से, वक़्त की सजाओं ने|

रात की उदासी को, आँसुओं ने झेला है,

कुछ गलत ना कर बैठे मन बहुत अकेला है|

कंचनी कसौटी को खोट ना निमन्त्रण है|

बाँसुरी चली आओ होठ का निमन्त्रण है|


 कुमार विश्वास

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